A Secret Weapon For Shodashi

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ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौः: ॐ ह्रीं श्रीं क ए ऐ ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं सौः: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं 

रागद्वेषादिहन्त्रीं रविशशिनयनां राज्यदानप्रवीणाम् ।

Matabari Temple is usually a sacred position the place people today from various religions and cultures Obtain and worship.

साम्राज्ञी चक्रराज्ञी प्रदिशतु कुशलं मह्यमोङ्काररूपा ॥१५॥

Shiva once the Dying of Sati had entered into a deep meditation. With out his Electricity no generation was attainable and this resulted in an imbalance from the universe. To carry him from his deep meditation, Sati took birth as Parvati.

यत्र श्री-पुर-वासिनी विजयते श्री-सर्व-सौभाग्यदे

षोडशी महात्रिपुर सुन्दरी का जो स्वरूप है, वह अत्यन्त ही गूढ़मय है। जिस महामुद्रा में भगवान शिव की नाभि से निकले कमल दल पर विराजमान हैं, वे मुद्राएं उनकी कलाओं को प्रदर्शित करती हैं और जिससे उनके कार्यों की और उनकी अपने भक्तों के प्रति जो भावना है, उसका सूक्ष्म विवेचन स्पष्ट होता है।

The above just one will not be a Tale but a legend plus a actuality since the particular person blessed by Sodhashi Tripur Sundari, he read more becomes the regal person. He achieves all the things as a result of his wisdom, want and workmanship.

हस्ते चिन्मुद्रिकाढ्या हतबहुदनुजा हस्तिकृत्तिप्रिया मे

ह्रीङ्कारं परमं जपद्भिरनिशं मित्रेश-नाथादिभिः

Philosophically, she symbolizes the spiritual journey from ignorance to enlightenment and is also linked to the supreme cosmic electric power.

Cultural situations like folk dances, audio performances, and performs will also be integral, serving to be a medium to impart regular stories and values, Primarily towards the youthful generations.

Goddess Shodashi is often known as Lalita and Rajarajeshwari which suggests "the 1 who performs" and "queen of queens" respectively.

यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।

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